मिशन मुंबई - भाग 2: कौन है जिम्मेवार
एक शहर ठीक से काम करे ?इसे कुशल और, प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए, खूबसूरत बनाने के लिए क्या चाहिए ? असली फर्क क्या है?
एक साथ मुंबई की समस्याओं और समाधान पर विचार कर रही लेखों की एक श्रृंखला के रूप में हमारी यात्रा में शामिल हो जाइये । मुंबई अब एक बेकार शहर बन गया है यहाँ की व्यवस्था पूरे तरह चरमरा गयी है इसने कुशल और प्रभावी सार्वजनिक सेवाओं को प्रदान करने के लिए अपनी क्षमता को खो दिया है। कुछ जल्द ही करने की जरूरत है।
इसलिए, हमें कुछ महत्वपूर्ण सवाल कर शुरूआत करते हैं।
मुंबई को संवैधानिक तौर पर अपने बारे में के बारे में सोचने की क्या क्षमता है, और अपने स्वयं के भविष्य के लिए,निर्णय करने के क्या अधिकार है?
आप हमारे पिछले ब्लोगhttp://mayankgandhi05.blogspot.in/2015/09/mission-mumbai-part-1-unworkable.html में पढ़ चुके हैं कि सत्ता की इस लड़ाई में हमने कई सत्ता केंद्र खड़े कर दिए है मुंबई शहर अब एक भ्रष्ट तंत्र से जूझ रहा है और यह केवल प्रशासनिक ढांचा है राजनितिक ढांचा तो और भी ख़राब हालत में है
आम तौर पर, राज्य और नगर निगमों के बीच संबंधों में भारत में बहुत टकराव है। यह शायद सभी शक्तियों को केंद्रित रखने के लिए है , राजनीतिक वर्ग के लालच के कारण जो कि अंग्रेजों की विरासत की वजह से हो सकता है।
और यह मुंबई ही नहीं लगभग भारत के सभी शहरों का सच है।आइये देखें कि दुनिया भर में क्या अन्य प्रमुख शहर क्या कर रहे हैं?
टोक्यो के गवर्नर Yoichi Masuzoe कहते हैं कि स्थानीय सरकारों को अपने वित्त का प्रबंधन और अपनी स्वयं की शक्तियों और संसाधनों का उपयोग कर प्रशासनिक सेवाएं प्रदान करने में सक्षम होना चहिये ऐसे ही स्थानीय स्वायत्तता को प्राप्त किया जा सकता है वे "कहते हैं। टोक्यो इस का एक अच्छा उदाहरण है। मेरा विश्वास है कि यह बहुत जरूरी है कि लोकल सेल्फ गवर्नमेंट अपने आय के स्रोतों पर पूरा नियंत्रण रखे "
जर्मनी की वर्तमान गवर्निंग गठबंधन सड़कों, स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों के निर्माण और प्रबंधन करने के लिए नगर निगम के स्थानीय निकायों को मजबूत करने के लिए अगले तीन साल में 15 अरब यूरो तक अपना निवेश नगर पालिकाओं में बढ़ाना चाहती हैं
चीन के कुछ शहरों की आबादी और रहिवासिओं का घनत्व का मुंबई के समान ही है, और इसलिए भारत को चीन से अधिक समझने की जरूरत है। महाराष्ट्र के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने
मुंबई को शंघाई में परिवर्तित करने का सपना देखा था हालाँकि वह कई कारणों से त्रुटिपूर्ण था लेकिन, हम निश्चित रूप से चीनी शहरों से सीख सकते हैं अपने स्थानीय निकायों के विकेन्द्रीकरण और इसकी संस्थाओं के क्षमता निर्माण के बारे में ? तथा स्थानीय इकाइयों को और अधिक शक्ति देने के बारे में, हैरत की बात है, चीन में भारत की तुलना में जमीनी स्तर पर अधिक लोकतंत्र है! चीन मानता है कि सशक्त स्थानीय इकाइयां अर्थव्यवस्था की शक्ति होंगी चीन ने इस क्षेत्र में बहुत काम किया है उसके पास बड़ा एरिया है और इसलिए भी स्थानीय सरकारों को मजबूत बनाने के लिए जान बूझकर काफी काम किया गया है
हमें भी राज्य और नगरपालिका संबंधों पर फिर से सोचना होगा नगरपालिकाओं को विकेंद्रीकरण और जमीनी स्तर पर पर और अपने स्वयं के मामलों का प्रबंधन और क्षमता का निर्माण करने के लिए, प्रोत्साहित करना होगा
लंदन मेट्रो
"लंदन के लिए परिवहन" नामक एक संगठन है,मोटे तौर पर जिसका बोर्ड पूरी तरह से मेयर द्वारा नियुक्त किया जाता है इस के के माध्यम से - ग्रेटर लंदन प्राधिकरण की लंदन में परिवहन की जिम्मेदारी है। और परिवहन बहुत व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है: इसमें बसें और मेट्रो भूमिगत, राजमार्गों और कार यातायात, कैब और मिनी कैब, चलने और साइकिल तक शामिल हैं। मेयर और ट्रांसपोर्ट फॉर London की पूरी जिम्मेदारी कि पूरे शहर में कारें बसें टैक्सी और cycles चलें सिर्फ एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो इस पूरे तंत्र को संचालित कर सके
तो, मुंबई में इस के लिए कौन व्यक्ति है ?
अक्षम शक्तिहीन मेयर?
या
सभी दलों के अनिर्वाचित रिमोट कंट्रोल ?
या
मुंबई नगर आयुक्त
इनमे से कोई भी नहीं?
या
ऊपर के सभी
मैं कुछ उदाहरण दे कर बताता हूँ कि मुंबई में एक "मुख्य व्यक्ति" न होने के कारण किस प्रकार प्रगति और विकास में बाधा आ रही है और प्राकृतिक विपदा या अन्य विषम परिस्थितिओं से निबटने में अक्षमता है
जब 11 सितम्बर को न्यूयॉर्क पर आतंकी हमला हुआ था मेयर गुलिआनी ने किस तत्परता और साहस से उसका सामना किया था किस प्रकार राज्य और विश्व की संघीय सरकारोँ की सहायता से उसका मुक़ाबला किया था उन्होंने world Trade centre स्थल और पूरे शहर में आतंकी हमले से बचाव और घटना स्थल के पुनर्निर्माण का कार्य किया उन्होंने अपने बयानोँ में 11 सितम्बर के बाद जनमानस की भावनाएं , दुःख, सदमा, क्रोध और reconstruct का जिक्र किया गुलिआनी का बचाव और रहत कार्य और पूरे अमेरिका को एक रखने में उनका प्रयास अनुकरणीयें है
वहीँ जब 26 नवम्बर 2008 को मुंबई पर आतंकी हमला हुआ था या जब 26 जुलाई 2005 को अतिवृष्टि हुई थी तो मुंबई एकदम पंगु हो गयी थी कौन था स्थिति पर नियंत्रण रखने और बचाव कार्य करने के लिए ? कोई नहीं? मेयर कहीं नज़र नहीं आये और सारे रिमोट कंट्रोल ठप्प पड़ गए थे कमिशनर जॉनी जोसफ असहाय और लाचार थे
जब राज्य में कोई आपदा आती है तो CM जिम्मेदार होते है देश पर संकट आता है तो PM पर जब मुंबई पर संकट आता है तो कोई नहीं ,यह वास्तव में मानव निर्मित ट्रेजेडी ही है
तो क्या चाहिए मुंबई में मेयर या CEO( किसी भी नाम से पुकारें) जो किसी पार्टी या रिमोट कंट्रोल से न चले पर मुंबई की जनता के प्रति उत्तरदायी होऔर यह व्यक्ति कड़े प्रशासनिक फैसले लेने में सक्षम हो और मुंबई को World class सिटी बनाने की vision रखता हो
हमें चाहिए एक निर्वाचित और सक्षम मेयर
कृपया अपनी राय व सुझाव हमें भेजें अपने इस प्रिय शहर पुनर्जीवित करने के लिए
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