Tuesday, September 15, 2015

Mission Mumbai - part 2(Hindi) : यहाँ कोई नहीं

मिशन मुंबई - भाग 2: कौन है जिम्मेवार 
 एक शहर ठीक से काम करे  ?इसे  कुशल और, प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए,  खूबसूरत बनाने के लिए क्या चाहिए ? असली फर्क क्या है?

एक साथ मुंबई की  समस्याओं और समाधान पर विचार कर रही  लेखों  की एक श्रृंखला के रूप में हमारी यात्रा  में शामिल हो जाइये । मुंबई अब एक बेकार शहर बन गया है  यहाँ की व्यवस्था पूरे तरह चरमरा गयी है इसने  कुशल और प्रभावी सार्वजनिक सेवाओं को प्रदान करने के लिए अपनी क्षमता को  खो दिया है। कुछ जल्द ही करने की जरूरत है।

इसलिए, हमें कुछ महत्वपूर्ण सवाल कर  शुरूआत  करते हैं।
 
 मुंबई को  संवैधानिक  तौर पर अपने बारे में  के बारे में सोचने की क्या क्षमता है, और अपने स्वयं के भविष्य के लिए,निर्णय करने के क्या अधिकार है?

आप हमारे पिछले ब्लोगhttp://mayankgandhi05.blogspot.in/2015/09/mission-mumbai-part-1-unworkable.html  में पढ़ चुके हैं कि सत्ता की इस लड़ाई में हमने कई सत्ता केंद्र खड़े कर दिए है मुंबई शहर अब एक  भ्रष्ट तंत्र से जूझ रहा  है और यह केवल  प्रशासनिक ढांचा  है राजनितिक ढांचा तो और भी ख़राब हालत में है 

आम तौर पर, राज्य और नगर निगमों के बीच संबंधों में  भारत में  बहुत टकराव   है। यह शायद सभी शक्तियों को केंद्रित  रखने के लिए है , राजनीतिक वर्ग के लालच के कारण जो कि अंग्रेजों की विरासत की वजह से हो सकता है।

और यह  मुंबई ही नहीं  लगभग  भारत के  सभी शहरों का सच है।आइये देखें कि  दुनिया भर में क्या अन्य प्रमुख शहर क्या कर रहे हैं?

टोक्यो के गवर्नर Yoichi Masuzoe  कहते हैं कि  स्थानीय सरकारों को अपने वित्त का प्रबंधन और अपनी  स्वयं की  शक्तियों और संसाधनों का उपयोग कर प्रशासनिक सेवाएं प्रदान करने में सक्षम होना चहिये ऐसे ही  स्थानीय स्वायत्तता को  प्राप्त किया जा सकता है  वे "कहते हैं। टोक्यो इस  का एक अच्छा उदाहरण है। मेरा विश्वास  है कि यह बहुत जरूरी है कि लोकल सेल्फ  गवर्नमेंट अपने आय  के स्रोतों पर पूरा नियंत्रण रखे "

जर्मनी की वर्तमान गवर्निंग गठबंधन सड़कों, स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों के निर्माण और प्रबंधन करने के लिए नगर निगम के स्थानीय निकायों को मजबूत करने के लिए अगले तीन साल में 15 अरब यूरो  तक  अपना निवेश नगर पालिकाओं में बढ़ाना चाहती  हैं

चीन के कुछ शहरों की आबादी  और  रहिवासिओं  का घनत्व का मुंबई के समान ही  है, और इसलिए भारत को चीन से अधिक समझने  की जरूरत है।  महाराष्ट्र के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने  
 मुंबई को शंघाई  में परिवर्तित करने का सपना देखा था हालाँकि वह कई कारणों से त्रुटिपूर्ण था  लेकिन, हम निश्चित रूप से चीनी शहरों से सीख   सकते हैं अपने स्थानीय निकायों के विकेन्द्रीकरण और इसकी संस्थाओं के क्षमता निर्माण के बारे में ? तथा स्थानीय इकाइयों को और अधिक शक्ति देने के बारे में,  हैरत की बात है, चीन में  भारत की तुलना में  जमीनी स्तर पर  अधिक लोकतंत्र है! चीन मानता है कि  सशक्त स्थानीय इकाइयां  अर्थव्यवस्था की  शक्ति होंगी चीन  ने इस क्षेत्र  में बहुत काम किया है उसके पास बड़ा  एरिया है      और इसलिए भी    स्थानीय सरकारों को मजबूत बनाने के लिए जान बूझकर काफी  काम किया गया है 

  हमें भी  राज्य और नगरपालिका संबंधों पर फिर से सोचना होगा  नगरपालिकाओं को     विकेंद्रीकरण और जमीनी स्तर पर  पर  और अपने स्वयं के मामलों का प्रबंधन और क्षमता का निर्माण करने के लिए, प्रोत्साहित करना होगा 
 
लंदन मेट्रो
 "लंदन के लिए परिवहन" नामक एक संगठन है,मोटे तौर पर जिसका बोर्ड पूरी तरह से मेयर द्वारा नियुक्त किया जाता है इस के   के माध्यम से - ग्रेटर लंदन प्राधिकरण की लंदन में परिवहन की  जिम्मेदारी है। और परिवहन बहुत व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है: इसमें  बसें  और मेट्रो भूमिगत, राजमार्गों और कार यातायात, कैब और मिनी कैब, चलने और साइकिल तक  शामिल हैं।  मेयर और ट्रांसपोर्ट फॉर London  की पूरी जिम्मेदारी  कि पूरे शहर में कारें  बसें  टैक्सी और cycles चलें  सिर्फ एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो इस पूरे तंत्र को संचालित कर सके  

हर बड़े शहर में एक मुख्य  व्यक्ति होता है जो निर्णायक , दूरगामी और inclusive प्रबंधन कर सके उसमे उच्च स्तर की नेतृत्व क्षमता हो वह Calamities और disaster से निपटने में सक्षम हो जैसे कि  कैलगरी, कनाडा के मेयर Naheed Nenshi या बेल्जियम में गेन्ट शहर के मेयर डैनियल Termont या इंडोनेशिया में Surbaya शहर के मेयर त्रि Rismaharini या ह्यूस्टन के मेयर, संयुक्त राज्य अमेरिका -Annise 
 
तो, मुंबई में इस के लिए कौन व्यक्ति है  ?

    अक्षम  शक्तिहीन मेयर?

क्या  मुंबईवासियों के  1% लोगों को  उनका  नाम भी पता है? महापौर सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा चुना जाता है या गठबंधन द्वारा  वोह सिर्फ एक showpiece है  अपने पार्षदों की उंगलियों पर नाचने वाला  और बांद्रा में बैठे उनके रिमोट कंट्रोल के लिए सदैव  कृतज्ञ, शिवाजी पार्क में एक अच्छा बंगला रहने के लिए मेयर  की शक्तियाँ इतनी कम हैं की कोई भी अच्छा या प्रभावी पार्षद मेयर नहीं बनाया जाता है  वैसे, वर्ल्ड क्लास मुंबई के वर्तमान मेयर शिवसेना की सुश्री स्नेहल आंबेकर है। उनके  कार्यकाल का मुख्य आकर्षण  सरकार के नियमों के बावजूद, उनकी  कार पर एक लाल बत्ती का  प्रयोग  उनकी जिद है। मुंबई नागरिकों के लिए इतना कुछ !!

या

    सभी दलों के अनिर्वाचित रिमोट कंट्रोल ?

Image result for raj and uddhavमुंबई देश की वित्तीय राजधानी है और नगर निगम भ्रष्टाचार सभी दलों के लिए खज़ाना भरने  का सबसे बड़ा स्रोत है। पार्टी के आकाओं को  विधायकों और सांसदों से भी ज्यादा की राशि की उम्मीद नहीं है, लेकिन पार्टी के लिए पैसे देने के लिए पार्षदों पर भारी दबाव है। कोई आश्चर्य नहीं कि हर पार्षद,  जीतने के कुछ ही हफ्तों मेंअमीर हो जाता है, कम से कम एकSUV  खरीदता है और सोने की अंगूठी, सोने की चेन पहनने शुरूआत करता है  और कुछ मामले में  सुनहरा दांत भी लगा लेता है  पार्टिओं के आकाओं चाहे वे ठाकरे हों  या cong /BJP के बड़े नेता उनकी नज़र हमेशा मुंबई के बड़े ठेकों बिल्डरों  पर रहती है जो कमाई का जरिए हैं उनकी कोई vision नहीं है सिर्फ बड़ी सड़कें , Highway , Bridges और फैंसी स्कीमें जिनसे मोती रकम कटी जा सके 

या

मुंबई नगर आयुक्त

-- नगरपालिका  आयुक्त का चुनाव CM करते हैं और उनका चुनाव MLA  करते है वह पूरे राज्य में शासन करते हैं ज्यादातर CM दूर दराज़ के जिलों से आते हैं जिन्हे मुबई की कोई समझ नहीं होती और आयुक्त IAS होते हैं जो महाराष्ट्र के शहरों  या गावों से आते हैं और वे भी मुंबई की समस्याओं से परिचित नहीं होते हैं पर उन्हें बड़ा दायित्व दिया जाता है मगर authority कुछ  नहीं ,मैं एक पूर्व commissioner से बात कर रहा था उन्होंने बताया कि उनका 6 0 % समय मंत्रालय के गलियारों में चकार लगाने और मीटिंगें करने में बीतता है और बचा समय पार्षदों की मांगे सुनने में जाता है  आयुक्त जनता से चुना हुआ व्यक्ति नहीं होता इसीलिए वह मुंबई की जनता को जवाबदेह नहीं है बल्कि CM  को है। 

इनमे से कोई भी नहीं?
       या
  ऊपर के सभी 

मैं कुछ   उदाहरण दे कर बताता हूँ कि मुंबई में एक "मुख्य व्यक्ति"  न होने के कारण किस प्रकार प्रगति और विकास में बाधा आ  रही है और प्राकृतिक विपदा या अन्य विषम परिस्थितिओं से निबटने में अक्षमता है 
जब 11 सितम्बर को न्यूयॉर्क पर आतंकी हमला हुआ था मेयर गुलिआनी ने किस तत्परता और साहस से उसका सामना किया था किस प्रकार राज्य और विश्व की संघीय सरकारोँ की सहायता से उसका मुक़ाबला किया था उन्होंने  world Trade  centre स्थल और पूरे शहर में आतंकी हमले से बचाव  और घटना स्थल के पुनर्निर्माण का कार्य किया उन्होंने अपने बयानोँ  में 11  सितम्बर के बाद जनमानस की  भावनाएं , दुःख, सदमा, क्रोध और reconstruct का जिक्र किया गुलिआनी  का बचाव और रहत कार्य और पूरे अमेरिका को एक रखने में उनका प्रयास अनुकरणीयें है 

वहीँ जब 26 नवम्बर 2008 को मुंबई पर आतंकी हमला हुआ था या जब 26  जुलाई 2005 को अतिवृष्टि हुई थी तो मुंबई एकदम पंगु हो गयी थी कौन था स्थिति पर नियंत्रण रखने और बचाव कार्य करने  के लिए ? कोई नहीं? मेयर कहीं नज़र नहीं आये और सारे रिमोट कंट्रोल ठप्प पड़ गए थे कमिशनर जॉनी जोसफ असहाय और लाचार थे 

जब राज्य में कोई आपदा आती है तो CM जिम्मेदार होते है देश पर संकट आता है तो PM पर जब मुंबई पर संकट आता है तो कोई नहीं ,यह वास्तव में मानव निर्मित ट्रेजेडी ही  है 

तो क्या चाहिए मुंबई में मेयर या CEO( किसी भी नाम से पुकारें)  जो किसी पार्टी या रिमोट कंट्रोल से न चले पर मुंबई की जनता के प्रति उत्तरदायी होऔर यह व्यक्ति कड़े प्रशासनिक फैसले लेने में सक्षम हो और मुंबई को World class सिटी  बनाने की vision  रखता हो 


हमें चाहिए  एक निर्वाचित और सक्षम मेयर 

कृपया अपनी राय व सुझाव हमें भेजें अपने इस प्रिय शहर पुनर्जीवित करने के लिए 

Saturday, September 12, 2015

Mission Mumbai - part 2 : No one in charge

What does it take to make a city function? And what does it take for it to function effectively, efficiently and beautifully? What is the REAL difference?

Buckle your seatbelts as we journey together in a series of articles looking at problems and solutions for Mumbai. Mumbai has now become a seriously dysfunctional city and has lost its capacity to deliver efficient and effective public services. Something needs to be done and soon. 

So, let us start by asking a few key questions.

How much is Mumbai legally empowered to have the ability to think about, let alone take control, of its own future?

We saw in the last blog( http://mayankgandhi05.blogspot.in/2015/09/mission-mumbai-part-1-unworkable.html ) that in the tussle for power, the State has created so many parastatal bodies that eventually, Mumbai city is now saddled with a structure that is scandalous and unworkable, to say the least. And that is just the administrative structure. The political structure is worse, which I will take up later.

Generally, the relation between State and Municipal Corporations is India very exploitive. It could probably be due to the legacy of the British that centralized all decision making to control the provinces, or, the greed of the political class to retain all powers.

And what is true of Mumbai is true of all cities in India. But let us see what other major cities around the world are doing?

Tokyo Governor Yoichi Masuzoe says “True local autonomy can only be achieved when local governments are able to manage their finances and provide administrative services using their own powers and resources. Tokyo is a fine example of the same. To this end, I believe it essential for authority and revenue sources to be devolved to local governments
The present governing coalition of Germany intends to increase its planned investment programs in Municipalities by 15 billion Euros in the next three years to strengthen municipal local bodies to build and manage roads, schools and public spaces.

Some of China’s cities have similar density and comparable population to Mumbai, and therefore India needs to learn more from China. An erstwhile Maharashtra CM had dreamt of converting Mumbai into a Shanghai, which was a flawed vision for many reasons. But, what we can surely learn from Chinese cities is about decentralization of its local bodies and capacity building of its institutions. Strangely, China has more democracy at the grass root level than India, as local units have more power! China realized that empowered local units would power economy, and therefore it worked consciously for strengthening local governments more also because it has such large areas.

Therefore, we need to relook at the State – Municipal relationship and encourage local governments, in the spirit of decentralization and grass root empowerment, to manage their own affairs and build capacity.

London Metro
The Greater London Authority has responsibility for transportation in London – largely through an organization called “Transport for London”, whose board is completely appointed by the Mayor. And transportation is very widely defined: it includes the buses and the Metro underground, highways and car traffic, cabs and mini-cabs, walking and cycling. The Mayor and Transport for London have the statutory obligation to make sense of how cars and mass-transit, along with cabs and bicycles, create a city-wide transportation system. All it needs is a key fully empowered person to manage and bring in the changes.

All major cities have a position for a key person who can give decisive management, inclusivity, long-term global vision and forward planning and someone whose strong leadership during calamity and disaster could be the difference.  Like Mayor Naheed Nenshi of Calgary, Canada or Mayor Daniel Termont of Ghent city in Belgium or Mayor Tri Rismaharini of Surbaya city in Indonesia or the mayor of Houston, USA -Annise Parker.

So, who is this key person in Mumbai?

    The lame-duck, powerless Mayor?

Does even 1% of Mumbaikars know his/her name ? The mayor is chosen by the ruling party or ruling combine and is just a ceremonial position having a nice bungalow at Shivaji Park, dancing at the finger tips of its Corporators and beholden to their Remote Control sitting in Bandra. The Mayor has so little powers that none of the serious and effective corporators are made Mayor.  By the way, the present Mayor of World Class Mumbai is Ms Snehal Ambekar of Shiv Sena. The highlight of her term is her insistence on using a red beacon on her car, in spite of govt rules denying her the privilege. So much for Mumbai Citizens !!

OR

    The unelected remote controls of all parties?

Image result for raj and uddhavMumbai is the financial capital of the country and Municipal Corporation corruption is the biggest source of fund collection for all parties. Party bosses do not expect too much amount from MLAs and MPs, but there is huge pressure on corporators to give money to the party. No wonder, every corporators, in a few weeks of winning becomes rich, buys at least one SUV and start wearing golden rings, golden chains and in some case golden teeth J. The party bosses, be it the Thackereys or the BJP and Cong top leaders control the workings of Mumbai, its major contracts and its biggest source of money, the builders. There is no vision, save for “Big-Ticket” Engineering solutions – like roads, highways, bridges and fancy schemes. Solutions that have major cut-backs.

OR 

               The Municipal Commissioner?

Present and previous MC
Ajay Mehta and S Kunte
The Municipal Commissioner is chosen and managed by a CM who has been elected by MLAs of the State to run the entire state. Most of the time, the CM hails from some far away district of Maharashtra, with little understanding of Mumbai? Most probably, the Municipal Commissioner is an IAS officer from some city, town or village of Maharashtra and not familiar with Mumbai and its issues. He is given so much responsibility and so little power. I was talking to an earlier Municipal commissioner and he was telling me that at least 60% of his working time was spent in the corridors of Mantralaya, attending meetings. Out of the balance time, a major part was spent entertaining demands of the elected corporators. The MC is not an elected person and not accountable to the citizens of Mumbai, but to the State CM.

OR

       None of the above? 

       OR

      All of the above?


Let me give a few examples to demonstrate how the lack of a “face” or “key Person” of Mumbai is not just hampering the growth and development of Mumbai, but has created major crisis during times of disaster and emergency.

Rudy Giuliani
When New York was attacked on Sept 11, 2001, their elected Mayor Rudy Giuliani was highly proactive. After the attacks, Giuliani coordinated the response of various city departments while organizing the support of state and federal authorities for the World Trade Center site, for city-wide anti-terrorist measures, and for restoration of destroyed infrastructure. In his public statements, Giuliani mirrored the emotions of New Yorkers after the September 11 attacks: shock, sadness, anger, resolution to rebuild, and the desire for justice to be done to those responsible. Giuliani’s close involvement with the rescue and recovery efforts and for uniting America in these trying times is worth emulating.

Johny Joseph, ex-MC
But when a similar attack took place in Mumbai on 26th November 2008 or even when there was torrential rains on 26th July 2005, what was the response of Mumbai governance? Who was that “key” person who responded? Frankly, no one. The mayor was not heard, the Remote controls were silent and the Municipal Commissioner, Johny Joseph, was largely ineffective and puerile. 
When there is a state calamity – the Chief Minister takes charge. When there is National Calamity – the Prime Minister takes charge. But when there is calamity in Mumbai – who is in charge? No one. And that is our real man-made tragedy.

So, what is needed is a Mayor (or CEO or whatever you may call it), who is accountable not to any party leaders or to any remote controls, but to the people of Mumbai. And this person needs to be empowered by law to take strong, firm administrative decisions and to create a vision for Mumbai to convert it into a World Class city.

We need a directly elected and fully empowered Mayor.

Please keep your inputs and feedback coming through. Let this be a joint effort to rejuvenate our beloved city.